Kaimur Top News: ढैंचा की खेती किसानों के लिए लाभदायक
कैमूर टॉप न्यूज़,कैमूर: गेहूं की कटाई तेजी से इन दिनों हो रही है. कटाई के बाद खेत परती रहते हैं.ऐसे में किसानों के द्वारा ढैंचा की खेती की जाए तो खेतों को काफी मात्रा में पोषक तत्व मिलेंगे.जो कि खेतों के लिए काफी अच्छा रहेगा.अप्रैल माह के अंत या मई माह के पहले सप्ताह तक जिले में पूरी तरह से गेहूं की फसल कट जाएगी. उसके बाद लगभग जुलाई माह तक खेत खाली रहता है. जुलाई माह के बाद खेत में धान की रोपनी शुरू होती है. पहले खरीफ व उसके बाद रबी फसल की खेती करने के बाद खेतों के मिट्टी का दम निकल जाता है. वहीं खेतों में रासायनिक खाद डालने पर भी मिट्टी के पोषक तत्वों की कमी होती है.ऐसे में मिट्टी में पोषक तत्व बनाए रखने के लिए किसानों को ढैंचा की खेती करनी चाहिए. खेतों में धान की खेती करने के लिए नया सीजन आने ही वाला है. ऐसे में खाली पड़े हुए खेतों में ढैंचा की खेती करने से मिट्टी में पोषक तत्वों में बढ़ोतरी व खाद से होने वाले नूकसान को भरपाई करेगा.
हरी खाद के नाम से विख्यात
ढैंचा को हरी खाद के नाम से भी जाना जाता है.यह मुख्य रूप ये भूमि में पोषक तत्वों को बढ़ाने तथा उसके जैविक पदार्थों की पूर्ति करने का काम करता है. ढैंचा के उपजने के बाद उस पर सीधे हल से जोताई कर उसको मिट्टी में मिला दिया जाता है. ढैंचा का पौधा में प्रचुर मात्रा में यूरिया का स्त्रोत होने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में बढ़ोतरी होती है.सबसे बड़ी बात है किसान इसकी खेती का खाद का उपयोग कम करना पड़ेगा. वहीं खेतों की सिचाई भी कम करनी पड़ती है. ढैंचा एक बीज है जो मुख्य रूप से एक हरी खाद के नाम से प्रसिद्ध है. इसका बीज मुंग की तरह से होती है. उसके बाद एक मात्रा के अनुसार खेतों छींट दिया जाता है. इसको खेत में डालने से पूर्व या तो सिचाई कर दें.या फिर हल्कि बारिश होने पर इसकी छिटाई कर सकते हैं.
मुफ्त में होता है अनाज का वितरण
खेतों में उर्वरा शक्ति बढ़ाने तथा बेहतर उत्पादन के लिए सरकार द्वारा किसानों को इसका बीज मुफ्त वितरित करने की योजना बनाई गई है. इसके लिए प्रत्येक जिला को हर साल लक्ष्य प्राप्त होता है.उसके अनुसार जिले को ढैंचा की आपूर्ति होती है. जिला कृषि कार्यालय के ओर से ढैंचा का बीज मुफ्त में किसानों को देना है.
ढैंचा के पौधे में यूरिया की प्रचुर मात्रा
कृषि वैज्ञानिक अमित कुमार ने बताया कि रबी फसल कटने के बाद खेतों में जोताई करा कर या बिना जोताई के इसका छिड़काव कर सकते हैं.यह बीज प्रति एकड़ दस किलो बोया जाता है. एक माह के बाद पौधा बढ़ने के बाद जोताई करा दी जाती है. मिट्टी के अंदर पौधा सड़ कर हरित खाद के रूप में तब्दील हो जाता है.इस प्रकार मिट्टी को पोषक तत्व मिल जाते हैं. उन्होंने बताया कि ढैंचा के पौधे में यूरिया की प्रचुर मात्रा होती है.इसके अलावा पौधे के सड़ने के बाद कार्बनिक पदार्थ के साथ साथ जीवाश्म की मात्रा निकलती है. जिससे खेत को 15 से 18 किलो तक नाइट्रोजन यानी की 40 किलो यूरिया के बराबर होता है. इससे किसानों को काफी मात्रा में उर्वरक की बचत के होती है तथा खेतों में काफी दिनों तक नमी बनी रहती है.



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