वीडियो:दो फूल मुरझाए, मां की दुनिया अंधकारमय – तालाब बना काल
कैमूर टॉप न्यूज,भभुआ:रविवार का दिन कैमूर जिले के भगवानपुर थाना क्षेत्र के मसही गांव के लिए ऐसा काला दिन बनकर आया, जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। गांव के दो सगे भाइयों की तालाब में डूबकर मौत हो गई। एक ही परिवार से उठी चीख-पुकार ने पूरे गांव को गमगीन कर दिया। हर कोई यही कह रहा था कि “ईश्वर इतना क्रूर कैसे हो सकता है कि एक मां से उसका आख़िरी सहारा भी छीन ले।”
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हादसे की शुरुआत
गांव निवासी स्वर्गीय संतोष कुमार सिंह के पुत्र – 14 वर्षीय आशुतोष कुमार और 13 वर्षीय आदर्श कुमार, रविवार को अपने दोस्तों के साथ गांव के पास स्थित तालाब में स्नान करने गए थे। सुबह का माहौल सामान्य था, बच्चे हंसते-खेलते तालाब में उतरे थे। लेकिन कुछ ही देर में खुशी मातम में बदल गई। नहाते-नहाते दोनों भाई अचानक गहरे पानी में चले गए और डूबने लगे।
दोस्तों की कोशिश और ग्रामीणों की भागदौड़
दोनों भाइयों को डूबते देख उनके साथी घबरा गए। उन्होंने हाथ-पांव मारकर बचाने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। डर के मारे बच्चों ने गांव में जाकर शोर मचाया। आवाज सुनते ही बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर पहुंचे। तालाब के किनारे अफरा-तफरी का माहौल था। लोग पानी में कूदे और करीब दस मिनट की मशक्कत के बाद दोनों को बाहर निकाला। लेकिन तब तक उनकी हालत गंभीर हो चुकी थी। तुरंत ही उन्हें सदर अस्पताल भभुआ ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने जांच कर दोनों को मृत घोषित कर दिया।
मां की चीख और गांव में मातम
जैसे ही मौत की खबर घर पहुंची, मां की चीख पूरे गांव में गूंज उठी। पहले ही वर्ष 2014 में पति संतोष कुमार सिंह का निधन हो चुका था। अब मां के सहारे सिर्फ यही दो बेटे थे, जिनसे उसका जीवन और भविष्य जुड़ा था। दोनों बेटों की एक साथ मौत ने उसे पूरी तरह तोड़ दिया। घर का चिराग बुझ चुका था, मां की गोद सूनी हो गई थी। रो-रोकर मां बार-बार बेहोश हो रही थी।
गांव के लोग बताते हैं कि आशुतोष और आदर्श दोनों ही पढ़ाई में अच्छे थे और पूरे परिवार की उम्मीद उन पर टिकी थी। उनकी असमय मौत से न सिर्फ परिवार बल्कि पूरा गांव शोक में डूब गया है। हर कोई यही कह रहा है – “इतनी कम उम्र में किस्मत इतनी बेरहम कैसे हो सकती है।”
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मंत्री का दौरा और मदद का ऐलान
घटना की जानकारी मिलते ही बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद जमा खान गांव पहुंचे। उन्होंने शोकाकुल परिवार से मुलाकात कर ढांढस बंधाया और संवेदना प्रकट की। मंत्री ने कहा कि सरकार इस दुख की घड़ी में परिवार के साथ खड़ी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि चार दिनों के भीतर आपदा राहत कोष से चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि परिजन को उपलब्ध कराई जाएगी।
गांव में पसरा सन्नाटा
रविवार का यह हादसा मसही गांव ही नहीं बल्कि पूरे इलाके के लिए दिल दहला देने वाला साबित हुआ। जिस घर से बच्चों की किलकारियां गूंजती थीं, वहां अब मातम छा गया है। रिश्तेदार और पड़ोसी सबकी आंखें नम हैं। गांव के बुजुर्ग कहते हैं – “इतनी बड़ी विपत्ति पहले कभी नहीं देखी।”
यह हादसा सिर्फ दो मासूमों की मौत नहीं है, बल्कि एक मां की जिंदगी का आख़िरी सहारा छिन जाने की दर्दनाक कहानी है। तालाब की गहराई ने एक पल में उसके सपनों, उसकी उम्मीदों और उसके भविष्य को निगल लिया। यह घटना हमेशा याद दिलाएगी कि जिंदगी कितनी नाजुक है और लापरवाही कितनी बड़ी त्रासदी ला सकती है।
कैमूर से ब्यूरो के साथ विशाल कुमार व मुबारक अली की रिपोर्ट
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