जब मंच पर सजीव हुआ भक्ति और रिश्तों का मेल, रामगढ़ की रामलीला बनी खास
कैमूर टॉप न्यूज,रामगढ़ :नगर पंचायत के प्राचीन रामलीला मंच पर इस बार का आयोजन दर्शकों के लिए बेहद खास रहा। सदियों से धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा को संजोए रखने वाला यह मंच इस वर्ष एक ऐसे दृश्य का गवाह बना, जिसने लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ दी। राम-केवट संवाद का मंचन जब हुआ तो उसमें पिता और पुत्र की अनोखी जोड़ी ने अभिनय कर ऐसा समां बांधा कि पूरा वातावरण श्रद्धा और भावनाओं से सराबोर हो गया।
राम की भूमिका में किशन तिवारी और केवट की भूमिका में उनके पिता शिशु तिवारी मंच पर आए। जैसे ही दोनों के बीच संवाद शुरू हुआ, दर्शकों ने पाया कि यह सिर्फ धार्मिक प्रसंग का मंचन नहीं है, बल्कि भावनाओं का सजीव चित्रण है। राम द्वारा अपनी परिस्थितियों को सरल शब्दों में रखना और केवट द्वारा अपनी भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करना दर्शकों को भीतर तक छू गया। पिता-पुत्र के इस संवाद में जो स्वाभाविकता और आत्मीयता झलकी, उसने मंचन को और भी वास्तविक बना दिया।
रामगढ़ की रामलीला में उमड़ी भीड़ ने यह साबित कर दिया कि आज भी पारंपरिक नाटक और धार्मिक आयोजन अपनी पुरानी महत्ता को कायम रखे हुए हैं। लोग न केवल इस मंचन से धार्मिक संदेश ग्रहण कर रहे थे, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर को सजीव रूप में देख गर्व महसूस कर रहे थे।
मंचन के बाद दर्शकों ने कलाकारों की जमकर सराहना की और समिति के प्रयासों की खूब प्रशंसा हुई। इस आयोजन को सफल बनाने में रामलीला समिति के अध्यक्ष दीपक सिंह, सचिव किशन तिवारी, कोषाध्यक्ष अभय तिवारी तथा डायरेक्टर सुधाकर तिवारी और रवि ठठेरा की अहम भूमिका रही। वहीं समिति के सक्रिय सदस्य आशीष सिंह, आशुतोष तिवारी, आनंद दुबे, अश्वनी तिवारी, विशाल शर्मा, अभिषेक शर्मा और धीरज कुमार ने भी पूरे समर्पण के साथ योगदान दिया।
रामगढ़ की रामलीला इस बार केवल पारंपरिक प्रस्तुति तक सीमित नहीं रही, बल्कि उसमें नई सोच और गहरे भावनात्मक जुड़ाव का ऐसा मेल देखने को मिला जिसने इसे ऐतिहासिक बना दिया। दर्शकों के लिए यह दृश्य लंबे समय तक स्मरणीय रहेगा और समिति के लिए आने वाले वर्षों की प्रेरणा बनेगा।
रिपोर्ट:- मंटू प्रसाद



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