“पुल के अभाव में रोज मौत से खेल रहे ग्रामीण, नाव ही है जिंदगी का सहारा”
कैमूर टॉप न्यूज, दुर्गावती: 21वीं सदी के इस आधुनिक युग में भी कैमूर जिले के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। सरकार जहां गांव-गांव तक सड़क, बिजली, पानी और पुल-पुलियों की सुविधा उपलब्ध कराने का दावा करती है, वहीं भभुआ प्रखंड अंतर्गत दुघरा गांव की सच्चाई बिल्कुल उलट है। यहां दुर्गावती नदी पर पुल नहीं होने से ग्रामीण रोजाना अपनी जान जोखिम में डालकर नाव से नदी पार करने को मजबूर हैं।
दुघरा, खनेठी, हथियावान, परमालपुर, होरलापुर बगैचा समेत दर्जनों गांव के लोग इसी नदी को पार करके बाजार, अस्पताल और स्कूल जाते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि पुल नहीं होने के कारण उन्हें महज 500 मीटर दूर स्थित जीटी रोड तक पहुंचने के लिए करीब 15 किलोमीटर लंबा चक्कर लगाना पड़ता है। नाव से नदी पार करना उनकी मजबूरी है, लेकिन हर दिन यह सफर मौत के साए में गुजरता है। बरसात के मौसम में नदी का जलस्तर बढ़ जाने से स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग इस समस्या से सबसे अधिक परेशान हैं।
ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से पुल निर्माण की मांग की है, लेकिन अब तक समस्या जस की तस बनी हुई है। हाल ही में ग्रामीणों की शिकायत पर दुघरा गांव पहुंचे भभुआ जिला परिषद सदस्य विकास सिंह उर्फ लल्लु पटेल ने स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि दुर्गावती नदी पर पुल बनने से न केवल दुघरा, बल्कि आसपास के दर्जनों गांव को राहत मिलेगी। पुल से ग्रामीण सीधे जीटी रोड से जुड़ जाएंगे और अस्पताल, बाजार व स्कूल तक पहुंचना आसान हो जाएगा।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार के “विकास के दावे” तब तक अधूरे रहेंगे, जब तक उन्हें इस बुनियादी समस्या से निजात नहीं मिलती। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही दुर्गावती नदी पर पुल निर्माण की दिशा में ठोस पहल नहीं की गई तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
दुघरा गांव की यह स्थिति आज भी यह सवाल खड़ा करती है कि आखिर कब तक ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर नाव से नदी पार करते रहेंगे? पुल का निर्माण सिर्फ सुविधा नहीं बल्कि जरूरत है, जो ग्रामीणों की जिंदगी और भविष्य दोनों को सुरक्षित बनाएगा।
- दुर्गावती से संवाददाता मुबारक अली की रिपोर्ट




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